हेल्लो दोस्तों आज हम आपको पत्तागोभी के बारे में एक बेहद महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं यूँ तो पत्ता गोभी एक पोषक सब्जी है लेकिन इसमें पाया जाने वाला टेपवर्म यानी फीताकृमि को लेकर खतरा 20-25 साल पहले ही शुरू हुआ है. जब कुछ लोग तेज सिर दर्द की शिकायत से परेशान थे. इनमें से कई लोगों को तो मिर्गी के दौरे तक पड़ रहे थे. इनमें से बहुत से रोगी बच नहीं पाए और जिनकी जान बच गयी उन्होनें बाद में पत्ता गोभी खाना बिल्कुल ही बंद कर दिया था. Pattagobhi Ka Keeda
जिन लोगों को इसके बारे में पता चला. उन्होंने भी पत्ता गोभी से दूरी बना ली. वैसे तो टेपवर्म के संक्रमण के मामले पूरी दुनिया में पाए जाते हैं, लेकिन खाद्य पदार्थों के रखरखाव आदि के तरीकों में अंतर के कारण भारत में इसके संक्रमण के मामले ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. तो आइए आज हम आपको बताते हैं इसके कारण और लक्षणों के बारे में विस्तार से.
कहां से आता है ये कीड़ा :
यह कीड़ा ज्यादातर जानवरों के मल में पाया जाता है, जो कई कारणों से पानी के साथ जमीन पर पहुंच जाता है. बारिश या गंदे पानी के साथ इसके जमीन पर पहुंचने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है. इसी वजह से यह कच्ची सब्जियों के जरिये हमारे शरीर में पहुंचने लगता है. इसके अलावा संक्रमित मिट्टी के माध्यम से भी इसके संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
कीड़ा कैसे जाता है शरीर में :
हमारे घरों में पत्ता गोभी कच्चे सलाद के रूप में बहुत खाई जाती है. यह टेपवर्म हमारे शरीर में दो तरह से पहुंचते हैं. यह बेहद छोटे होते हैं जिसकी वजह से कई बार अच्छी तरह से धोने के बाद भी यह गोभी पर चिपके ही रह जाते है.
ऐसी स्थिति में जब हम कच्ची पत्ता गोभी खाते हैं तो इनके हमारे शरीर में पहुंचने की आशंका सबसे अधिक रहती है. इसीलिए अब ज्यादातर लोग पत्ता गोभी खाने से परहेज करने लगे हैं.
ये संक्रमण कैसे फैलता है :
सबसे पहले यह हमारी आंतों पर हमला करता है. फिर यह बल्ड सर्कुलेशन के जरिये हमारे दिमाग तक पहुंच जाता है. हमारी आंतों पर केवल एक या दो टेपवर्म का हमला ज्यादातर खतरनाक नहीं होता, जबकि दिमाग पर इसके हमले के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इसके लार्वा से होने वाला संक्रमण एक गंभीर समस्या बन जाती है. इन टेपवर्म से होने वाले संक्रमण को टैनिएसिस कहा जाता है.